हमारी परम्परागत कृषि जैविक आधारित: आचार्य बालकृष्ण

हरिद्वार। भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत तीन दिवसीय मृदा प्रशिक्षण तथा कृषि संबंधी अन्य प्रशिक्षण के दूसरे दिन प्रशिक्षुओं ने पतंजलि एग्री रिसर्च कैम्पस का दौरा किया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है तथा यहां की अधिकांश जनसंख्या आजीविका तथा जीवन निर्वहन के लिए कृषि पर ही निर्भर है। आचार्य ने कहा कि हमारी परम्परागत कृषि जैविक आधारित पूर्ण रसायनमुक्त थी। किन्तु अधिक उपज के लालच तथा बढ़ती जनसंख्या की समस्या के कारण रसायनयुक्त उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ता चला गया। परिणाम स्वरूप रसायनयुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से पूरी मानव जाति विभिन्न असाध्य रोगों से ग्रस्त है। आज स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि कि हम पुनः रसायन रहित विषमुक्त कृषि के लिए प्रयास कर रहे हैं। पतंजलि अनुसंधान संस्थान की टीम ने किसानों को खेतों में ले जाकर मृदा परीक्षण किट ‘धरती का डॉक्टर की प्रयोग विधि का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षु किसानों के साथ पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट कैम्पस में कृषि अनुसंधान कार्यों को साझा किया गया। सायंकालीन सत्र में योग यात्र डॉक्यूमेंट्री को प्रदर्शित किया गया। इस मौके पर डॉ. वेदप्रिया आर्या, पवन कुमार, विवेक बेनीपुरी, डॉ. मनोहारी, डॉ. अजय गौतम, स्पर्श गर्ग, अमित सैनी, शिवम आदि ने प्रशिक्षण कार्य में सहयोग किया।

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