रुड़की में परंपरागत तरीके से हुआ होलिका दहन

रुड़की। रुड़की में होलिका दहन परंपरागत तरीके से किया गया। अलग-अलग क्षेत्रों में सुबह से ही होलिका का पूजन शुरू हो गया था। महिलाओं ने होलिका पूजन किया। शाम को मुहूर्त पर होलिका दहन किया गया। रुड़की में होलिका दहन मंगलवार को किया गया। होलिका दहन पूर्णिमा तिथि, रात के समय और भद्रा के बिना साया के होता है। होलिका दहन के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। इसमें भक्त प्रह्लाद और हिरण्य कश्यप की कथा, कामदेव और भगवान शिव की कथा, द्वापर युग में कृष्ण और पूतना की कथा शामिल हैं। श्रीमद् भागवत कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उनकी बुआ प्रह्लाद को लेकर के अग्नि में बैठी। विष्णु भगवान की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई और भक्त प्रह्लाद बच गए। तभी से होलिका दहन की परंपरा प्रारंभ हुई। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए कंस ने पूतना राक्षसी को भेजा। भगवान श्रीकृष्ण ने उसका अंत कर दिया। इसी खुशी में होली का का पर्व मनाया जाने लगा।

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