बाढ़ से न घर बचा और न खेती, मुआवजा भी नहीं मिला

रुड़की। प्रह्लादपुर का किसान संजीव पशोपेश में है। बाढ़ से उसकी पूरी फसल बर्बाद हो गई। जलभराव से रहने का मकान गिरा, तो उसमें रखा चावल, आटा, गेहूं भी बह गया। उनके पास न खाने को कुछ बचा है, न ही रहने को मकान बचा है। दो माह से परिवार तिरपाल के नीचे रह रहा है। सरकारी मदद भी अभी उस तक नहीं पहुंची है। प्रहलादपुर निवासी संजीव के परिवार में कुल सात लोग हैं। संजीव, उसकी पत्नी मुकेश, बड़ा बेटा सागर, पुत्रवधु रोशन, बेटी खुशी और छोटे बेटे शिवम व सावन अपने छोटे से मकान में एक साथ रहते हैं। उनके पास खेती की जमीन बिल्कुल नहीं है। वह मेहनत मजदूरी करके परिवार पालता है। इस बार उसने गांव के किसान की थोड़ी सी जमीन हिस्से पर लेकर धान लगाया था। धान का बीज, खाद भी परिचित की दुकान से उधार लेना पड़ा। जुलाई में बाढ़ ने उसकी धान की सारी फसल बर्बाद कर दी। घर के तीन तरफ बाढ़ का पानी भरा रहने से उनका मकान भी ध्वस्त हो गया।

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