पश्चिम बंगाल में केवल चुनाव के समय विभिन्न दलों के नेताओं को याद आते हैं चाय बागानों के श्रमिक

 

सिलीगुड़ी……

बंगाल में चाय बागान श्रमिकों की स्थिति आज भी अत्यंत दयनीय है। उन्हें न तो भरपेट भोजन मिलता और न सिर छिपाने के लिए मजबूत छत नसीब है। और तो और बागान क्षेत्र में पत्ती तोड़ने के दौरान अक्सर जंगली जानवरों के हमले में श्रमिक अपनी जान तक गंवा देते हैं। श्रम कार्यालय के अनुसार दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार में 302 चाय बागान हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य छोटे बागान हैं।

इन बागानों में 3.40 लाख से अधिक श्रमिक दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं। महंगाई के इस दौर में उनकी दिहाड़ी इतनी कम है कि अधिकतर श्रमिक कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में अब भी करीब 15 चाय बागान बंद पड़े हैं। चाय बागान श्रमिकों का कहना है कि बागान में सप्ताह में छह दिन काम करना पड़ता है। प्रत्येक श्रमिक को प्रतिदिन 25 किलो चाय की पत्ती तोड़ना अनिवार्य है। इसमें आठ से नौ घंटे लगते हैं। अगर कम चाय की पत्ती तोड़ा तो तीन रुपए प्रतिकिलो की दर से कटौती होती है। जबकि अधिक तोड़ने पर मात्र डेढ़ रुपए प्रति किलो का भुगतान होता है।

वर्तमान समय में श्रमिकों को 202 रुपए प्रतिदिन की दर मजदूरी दी जाती है। यह न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। अगर बागान बंद हो जाता है, तो श्रमिकों के पास जीविका का कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। इसके बाद वह परिवार को छोड़कर दूसरे राज्यों में जाने को विवश होते हैं अथवा नदी में बालू-पत्थर निकालने का काम करते हैं। आए दिन कोई न कोई चाय बागान बंद होने व श्रमिकों को समय पर मजदूरी नहीं मिलने की शिकायत आती रहती हैं। बागान मालिकों की मनमानी और राज्य एवं केंद्र सरकार के उदासीन रवैए से श्रमिकों की स्थिति लगातार बदतर हो रही है।

कुपोषण व विभिन्न जानलेवा बीमारियों के शिकार श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं। चुनाव के दौरान हर राजनीतिक दल आश्वासन देता है, लेकिन चुनाव के बाद कोई इनकी सुधि नहीं लेता। यही वजह है कि इनकी दशा में कोई बदलाव नहीं आया है। तृणमूल कांग्रेस मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मोहन शर्मा ने बताया कि वर्तमान सरकार से चाय श्रमिक पूरी तरह से संतुष्ट हैं। उन लोगों के लिए जय जोहार, चाय सुंदर समेत कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई है। बंद बागानों को खोला जा रहा है। भाजपा नेता चुनाव के समय आश्वासन देकर फिर लापता हो जाते हैं।

अलीपुरद्वार चाय बागान श्रमिक नेता और भाजपा सांसद जॉन बारला ने बताया कि श्रमिकों के हित में केंद्र सरकार बजट में 1000 करोड़ का पैकेज दिया है। मगर राज्य सरकार व चाय बागान मालिकों का रवैया श्रमिकों के प्रति ठीक नहीं है। श्रमिकों का हक मारा जा रहा है। राज्य में भाजपा की सरकार आई तो श्रमिकों को उनका हक जरूर मिलेगा।

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