श्रीमद्भागवत भक्ति और मुक्ति दोनों का ग्रंथ: महामंडलेश्वर 

हरिद्वार
श्रीपंचदश नाम जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि ने बुधवार को कहा कलियुग में श्रीमद् भागवत भक्ति और मुक्ति दोनों का ग्रंथ है। भागवत का प्राकट्य भी हरिद्वार की पवित्र भूमि पर ही हुआ। सर्वप्रथम हरिद्वार के आनंद वन क्षेत्र में सनकादिक ऋषियों ने नारद को भागवत सुनाई गई थी। यह बातें उन्होंने निष्काम सेवा ट्रस्ट भूपतवाला में श्रीधाम वृंदावन के आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर द्वारा चल रही श्रीमद् भागवत कथा के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कही। महामंडलेश्वर गिरी ने कहा हरिद्वार मोक्षदायिनी है पवित्र गंगा नदी का तट है, यहां से हरि और हर दोनों के धाम का प्रवेश द्वार है। हरिद्वार की पवित्रता श्रद्धालु भक्तों को रखनी चाहिए।

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