कोरोना वारियर्स गैर वित्तीय मांगो को ले सरकार से निर्णय करने की मांग – परिषद

लखनऊ।
प्रदेश के राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को बताया कि कोरोना काल में जान की परवाह किए बगैर कार्य करने वाले कोरोना योद्धाओं की उन सभी मांगों पर विचार कर सरकार से तत्काल निर्णय किए जाने की मांग की गयी ।कहा सरकार को कोई वित्तीय भार की संभावना नहीं है।परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव कार्मिक, अपर मुख्य सचिव वित्त के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के कई संवर्गो की जायज मांगों पर तत्काल निर्णय लिए जाने का लिखित आश्वासन दिया गया था।कहा वर्तमान परिवेश में जब सभी कर्मचारी कोरोना से जनता को बचाने में अग्रणी भूमिका अदा की तथा संक्रमित जनता को बिना डरे, अपनी जान की परवाह किए उपचार व इलाज प्रदान किया हैं, इसलिए इन संवर्गो की सभी मांगों पर कार्रवाई किया किया जाना न्यायोचित है। कहा सरकार को प्राथमिक तौर पर उन सभी मांगों पर तत्काल निर्णय कर शासनादेश निर्गत कर देने चाहिए जिनमें सरकार को सीधे कोई वित्तीय हानि नही पहुचती है।बताया कि प्रदेश के चिकित्सालयो में नर्सेज, फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन, आॅप्टोमेट्रिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, बेसिक हेल्थ वर्कर महिला,पुरूष सहित विभिन्न कर्मी प्रथम पंक्ति में आकर जनता की सेवा की हैं। परिषद के उपाध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कि पदों का सृजन मानक निर्धारण आदि ऐसी समस्याएं हैं, जिससे सभी संवर्ग प्रभावित हो रहे हैं साथ ही जनता भी प्रभावित होती है क्योंकि मानव संसाधन की कमी से जन सेवा में बाधा पड़ती है। उन्होंने बताया कि कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब , महाराष्ट्र में फार्मेसिस्ट का पदनाम फामेर्सी अधिकारी, चीफ फार्मेसिस्ट को बदलकर चीफ फामेर्सी अधिकारी किया जा चुका है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के फार्मेसिस्ट संवर्ग के पदनाम परिवर्तन की मांग की गई है । प्रदेश के सैकड़ो जनप्रतिनिधियों ने भी पदनाम परिवर्तन के लिए अपनी संस्तुति भेजी है।कहा  उक्त सभी संवर्गों के पदनाम परिवर्तन से सरकार को कोई वित्तीय भार नही आना है , बल्कि यह कोरोना योद्धाओं के लिए एक उपहार साबित होगा ।परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मांग की है कि पूर्व में हुए समझौतों के अनुसार सभी संवर्गो की मांगों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए निर्णय कर शासनादेश निर्गत कराएं जिससे सरकार और कर्मचारियों में आपसी सौहार्द बना रहे।

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