संस्कृत के संरक्षण, संवर्धन एवं सार्वभौमिक प्रचार को संगोष्ठी आयोजित की

चमोली।

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा संस्कृत के संरक्षण, संवर्धन एवं सार्वभौमिक प्रचार के लिए प्रदेश के 13 जनपदों में व्याख्यानमाला में गूगल मीट की मदद से संगोष्ठी आयोजित की गई। इस मौके पर संस्कृत के महत्व एवं इसकी भविष्य की संभावनाओं व रोजगार पर चर्चा की गई। संस्कृत मास महोत्सव के शुभ अवसर पर श्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद पूर्णिमा तक प्रदेश के सभी 13 जनपदों में व्याख्यानमाला का शुभारंभ किया गया। जनपद रुद्रप्रयाग में गूगल मीट की मदद से अकादमी के पूर्व सचिव डॉ सुरेश चरण बहुगुणा की अध्यक्षता में संस्कृत संगोष्ठी आयोजित हुई। शुभारंभ करते हुए जनपद संयोजक सुखदेव प्रसाद सिलोड़ी ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। अकादमी के शोध अधिकारी डॉ हरीश चन्द्र गुरुरानी ने अकादमी के कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य वक्ता प्रोफेसर के हरि प्रसाद ने कहा कि संस्कृत से शिक्षा लेकर वर्तमान में छात्र विभिन्न संस्थाओं एवं अलग अलग क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं। संस्कृत छात्र के पास रोजगार एवं अपरिमित उद्योग के अवसर हैं। स्वामी रामदेव का उदाहरण देते हुए कहा कि वे संस्कृत पढक़र सफल हुए हैं। संस्कृत को निष्ठा से समझने की जरूरत है। सहा वक्ता डॉ. कंचन तिवारी ने कहा हमारे शास्त्रों में 64 कलाओं का वर्णन है, छात्र संस्कृत पढक़र ज्योतिषाचार्य, शिक्षक, आयुर्वेदाचार्य, वास्तुशास्त्र विशेषज्ञ बनकर सफलता प्राप्त कर रहे हैं। संस्कृत का व्यापक कार्यक्षेत्र है। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि गढ़वाल मण्डल के श्री महन्त स्वामी शिवानन्द महाराज ने कहा संस्कृत से सदा सभी को लाभ होता रहेगा। इस देववाणी संस्कृत को सभी विद्यालयों में अनिवार्य विषय के रुप में स्वीकृति मिलनी चाहिए। विशिष्ट अतिथि संस्कृत शिक्षा के उपनिदेशक डॉ. वाजश्रवा आर्य ने बताया कि सुयोग्य छात्रों की आवश्यकता है। संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. बहुगुणा कहा कि संस्कृत के छात्र स्वावलम्बी होते हैं, संस्कृत में रोजगार की कमी नहीं है। संस्कृत का छात्र सेना में धर्मगुरु, विद्यालय, महाविद्यालय में प्राध्यापक, लेखक और पीसीएस आदि परीक्षा उत्तीर्ण कर अधिकारी भी बन सकता है। जनपद सह संयोजक नवीन चन्द्र नौटियाल ने सभी अतिथियों का धन्यवाद एवं आभार जताया। इस मौके पर डॉ. चंद्रप्रकाश उप्रेती, डॉ नित्यानंद पोखरियाल, श्याम लाल गौड़, धीरज बिष्ट, दिवाकर डिमरी, पंकज पंत, शशि बमोला, सचिंद्र नौटियाल, प्रदीप कोठारी, रोशन गौड़, चन्द्रशेखर नौटियाल, गणेश फोन्दणी, जगदंबा जसोला, ओम प्रकाश आदि मौजूद थे।

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