एडीआर की रिपोर्ट : उत्तराखंड में राजनैतिक दलों के बजाय निर्दलीय चुनाव ज्यादा लड़ी महिलाएं

 

देहरादून। हालिया विधानसभा चुनावों में सियासी दलों ने महिलाओं को टिकट देने में भले ही कंजूसी दिखाई हो, लेकिन महिलाओं ने खुद पर भरोसा जताते हुए बतौर निर्दलीय मैदान में उतरने का साहस दिखाया है। इसी के दम पर मौजूदा चुनावों में पिछली बार की तुलना में महिला प्रत्याशियों का प्रतिशत बढ़ा है।

एडीआर, इलेक्शन वॉच ने मंगलवार को महिला दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के चुनावों में महिलाओं की भूमिका पर विशेष रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड से पांच सांसदों मे से केवल एक महिला सांसद है, वो भी पूर्व राज घराना की सदस्य हैं। विधानसभा की बात करें तो 2012 में पांच, 2017 में 06 महिला विधायक निर्वाचित हुईं। अब 2022 के चुनावों में कुल 632 उम्मीदवारों मे से केवल 62 महिला प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में उतर पाई। हालांकि इसमें पिछले चुनावों के मुकाबले एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। तब 637 मे से 56 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान मे उतरी थीं। इस चुनाव में सर्वाधिक 18 महिला प्रत्याशी बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरी।

इसके अलावा गैर मान्यता प्राप्त दलों ने नौ और राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दलों में भाजपा ने आठ, आप ने सात, समाजवादी पार्टी ने छह, कांग्रेस ने पांच, बसपा ने तीन महिलाओं को टिकट दिया। इसके अलावा यूकेडी ने छह महिला प्रत्याशियों को टिकट प्रदान किया। एडीआर के प्रदेश समन्वयक मनोज ध्यानी के मुताबिक यह स्थिति ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही है।

उन्होंने बताया कि चुनाव मैदान में उतरने वाली महिला प्रत्याशियों में 24 फीसदी स्नातकोत्तर, 33 फीसदी स्नातक, 14 फीसदी इंटर और चार फीसदी हाईस्कूल पास है। ध्यानी ने कहा कि महिलाओं के ऊपर अत्याचार करने वाले छह उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, इसमें एक राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी पर तो बकायदा बलात्कार का मुकदमा भी दर्ज है।

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