भूस्खलन के चलते नामिक में 9 मकान खतरे की जद में आए

पिथौरागढ़। हिमालय की तलहटी में बसे सीमांत के अंतिम गांव नामिक के ग्रामीणों को मौसम की दोहरी मार सहने को मजबूर होना पड़ा है। भारी बारिश के बाद गांव में भूस्खलन होने से 9 से अधिक मकान खतरे की जद में आ गए हैं। वहीं रामगंगा नदी के उफान पर आने से इस गांव को बागेश्वर जनपद से जोड़ने वाले पैदल पुल पर भी आपदा का खतरा मंडरा गया है। भूस्खलन से ग्रामीणों में दहशत है तो पुल को लेकर भी उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं। सीमांत के अंतिम गांव नामिक में आसमानी आफत ने अपना कहर बरपाया है। बीते बुधवार रात हुई बारिश से गांव में भूस्खलन हुआ, जिससे पूर्व प्रधान खुशाल सिंह, गोविंद सिंह, हयात सिंह, भानुली देवी, गंगा सिंह, गुमान सिंह, गोविंद सिंह, भीम सिंह, कुंदन सिंह के मकान खतरे की जद में आ गए हैं। घरों के नजदीक लगातार भूस्खलन जारी है, जिससे ग्रामीणों में दहशत है। बीडीसी सदस्य दिनेश कुमार ने कहा ग्रामीण पूरी रात नहीं सो सके। अपने परिवार को सुरक्षित बचाने के लिए घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर भागते रहे। वहीं इस गांव को बागेश्वर को जोड़ने वाला रामगंगा नदी में बना पुल भी नदी के उफान पर आने से खतरे में आ गया है।

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