चकराता में बंदरों के आतंक से लोग परेशान
विकासनगर। चकराता छावनी के लोगों को बंदरों के आतंक से निजात नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्रवासियों की मांग के बाद भी छावनी प्रशासन इस ओर आंखे मूंदे हुए है। बंदरों के आतंक से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। चकराता छावनी क्षेत्र में सालों से बंदरों ने अपना डेरा जमाया हुआ है। पिछले चार माह से बंदरों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में छावनी परिषद ने बंदरों को पकड़वा कर बादशाही बाग के जंगलों में छोड़ दिया था, जिसके बाद लोगों को कुछ राहत मिली थी। लेकिन अब पिछले कई महीनों से बंदरों की तादाद में एकाएक बढ़ोतरी हुई है, जिससे इनका आतंक बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि बंदरों ने लोगों का सड़क पर चलना भी मुश्किल कर दिया है। कैंट के पूर्व उपाध्यक्ष पंकज जैन, व्यापार मंडल अध्यक्ष केशर चौहान, सुनील जैन, कुंवर सिंह चौहान, गोपाल तोमर, रविश अरोड़ा, विनय शर्मा, राजकुमार मेहता का कहना है कि बंदरों के आतंक का आलम यह है कि वह दुकानों और घरों से सामान उठा कर ले जाते हैं। साथ ही सड़क से गुजर रहे राहगीरों पर भी हमला कर देते हैं। लोगों के हाथ से सामान छीनना आम बात हो गयी है। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और स्कूली बच्चों को उठानी पड़ रही है। उन्होंने कैंट प्रशासन से जल्द ही इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि उन्हें आशंका है कि पिछले दिनों किसी अन्य जगह से बंदरों को यहां छोड़ा गया है, जिससे इनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। बताया कि बंदरों के हुड़दंग से वह परेशान हो गए हैं। कैंट से लेकर वन विभाग तक से वह इस मामले में गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई उनकी समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने जल्द ही इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। उधर मुख्य अधिशासी अधिकारी कैंट बोर्ड आरएन मंडल का कहना है कि इस मामले में वन विभाग के साथ मिलकर कार्य किया जाएगा। उनके पास सीधे तौर पर बंदर पकड़वाने का कोई प्रावधान नही है।