जलकल अभियंता को सौंपा ज्ञापन

विकासनगर। नगर पालिका क्षेत्र में पेयजल की अनियमित आपूर्ति को सुचारु करने, गुणवत्ता जांचने और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग स्थानीय लोग करने लगे हैं। बुधवार को केशरबाग उत्थान समिति की ओर से इस आशय का ज्ञापन जलकल अभियंता को सौंपा गया। ज्ञापन सौंपने जल संस्थान कार्यालय पहुंचे लोगों ने बताया कि नगर क्षेत्र में कई जगहों पर पुरानी पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिनसे पानी की बर्बादी होती है। पानी का प्रेशर कम होने के कारण बाहर के गंदे पानी के साथ ही कीड़े भी घरों में आ रहे हैं, जिससे बीमारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है। बताया कि ओवर हेड टैंकों की सफाई भी समय पर नहीं की जा रही है। बताया कि नगर पालिका क्षेत्र में वाटर डिस्ट्रीब्यूशन के लिए नई प्रणाली अपनाई जानी चाहिए, जिसे सभी बस्तियों में पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति हो सके। उन्होंने कहा कि भविष्य में बढ़ती आबादी के लिए नलकूप से पेयजल आपूर्ति करना संभव नहीं होगा।  नगर क्षेत्र की हर बस्ती में कई नलकूप लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी नए नलकूप लगाए जा रहे हैं। नलकूप अधिक लगने के कारण जल्द ही भू जल स्तर के घटने का खतरा पैदा हो रहा है। इस विकट समस्या से बचने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना चाहिए, जिससे कि पूरे पछुवादून क्षेत्र में पीने के पानी की आपूर्ति सुचारु हो सके। लोगों ने जल संस्थान से सभी क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों की मरम्मत करने और अन्य मांगों पर जल्द कार्यवाई किए जाने की गुजारिश जलकल अभियंता से की है। ज्ञापन सौंपने वालों में केशरबाग उत्थान समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नेगी, सचिव जेपी सेमवाल, गोदांबरी देवी, देवश्वरी विडालिया, मोहन सिंह आदि शामिल रहे।
बिजली के पोल नहीं बदलने पर जताई नाराजगी
केशर बाग उत्थान समिति ने झुके हुए बिजली के पोल बदले नहीं जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नेगी ने ऊर्जा निगम को सौंपे ज्ञापन में बताया कि केशरबाग में शहीद सूरज द्वार पर बिजली का पोल झुक चुका है। इससे द्वार को भी नुकसान पहुंच रहा है। कई बार शिकायत करने के बाद भी ऊर्जा निगम की ओर से पोल को सीधा नहीं किया जा रहा है, जिससे दुर्घटना का खतरा भी बना हुआ है। इसके साथ ही कई बस्तियों में बिजली की झूलती तारों से खतरे बना हुआ है। उन्होंने झुके हुए पोलों को सीधा करने और झूलते तारों की मरम्मत करने की मांग ऊर्जा निगम अधिकारियों से की है।

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