श्रम संहिता के विरोध में एकजुट हों मजदूर : डॉ. हेमलता

देहरादून। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के हेमलता ने कहा कि पिछले तीन सालों में कोरोना संकट और सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण उद्योग धंधे बंद हुए हैं। हजारों को मजूदरों को अपना रोजगार गंवाना पड़ा है। कोरोना से बड़ी संख्या में मजदूरों की जान भी गई है। अब सरकार श्रम संहिता लागू करने की तैयारी कर रही है, जिसका ट्रेड यूनियनें पुरजोर विरोध करेगी। गांधी पार्क से जैन धर्मशाला तक रैली के साथ सम्मेलन का आगाज हुआ। शनिवार को जैन धर्मशाला में सीटू का आठवें सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के हेमलता ने कहा कि देश में बेहताशा महंगाई के चलते मजदूर की आय में भारी कमी आई है। केंद्र सरकार ने कोरनाकाल में पुराने कानूनों खत्म करते चार श्रमिक संहिता बनाई है, यह मजदूर विरोधी कानून है। कहा कि मजदूर और कर्मचारियों के लिए जो भी कुछ मिल रहा है, वह ट्रेड यूनियन आंदोलन और संघर्ष का ही परिणाम है। कहा कि यदि श्रम विरोधी कानून लागू हुए तो मजदूर वर्ग की समस्याएं और अधिक बढ़ेगी, उनके खिलाफ सरकार की दमनात्मक कार्रवाई बढ़ेगी, मजदूरों की सुविधाएं एवं सामाजिक सुरक्षा समाप्त होगी, मालिकों की मनमानी बढ़ेगी और मजदूरों के यूनियन के अधिकार पर हमला होगा। कहा कि पहले के मुकाबले रोजगार, वेतन, मानदेय आदि की सुविधाओं में भारी कटौती होगी। कहा कि श्रमिक विरोधी कानून किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। राज्य सचिव लेखराज ने डॉ. के हेमलता को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। अध्यक्षता कामरेड राजेंद्र सिंह नेगी, विपिन उनियाल, मदन मिश्रा, कृष्ण गुनियाल, जानकी चौहान ने की। सम्मेलन में इंटक के प्रदेश आध्यक्ष एवं पूर्व काबीना मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, कामरेड वीरेंद्र भंडारी, महावीर शर्मा, केके बोरा, किसान सभा के महामंत्री गंगाधर नौटियाल, एसएफआई अध्यक्ष नितिन मलेठा, जनवादी महिला समिति की महामंत्री दमयंती नेगी, एआईएलयू के महामंत्री शंभू प्रसाद ममगाईं, मुरली मनोहर, राजेंद्र, ताजवर सिंह रावत, जगदीश चंद, एसएस नेगी, विपिन उनियाल आदि मौजूद रहे।

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