कर्नाटक में दूध की राजनीति

 

चुनाव के लिए किस बात को मुद्दा बनाया जाए, यह राजनेताओं से बेहतर कोई नहीं जानता। दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक मंे आगामी मई मंे विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहां की राजनीति तो 2018 मंे सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के समय से ही गर्म रही है। चुनाव हुए तो किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला। केन्द्र मंे भाजपा की सरकार का फायदा उठाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता भी दे दिया लेकिन कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) ने मतगणना के समय ही हाथ मिला लिया था लिहाजा येदियुरप्पा ने बहुमत साबित करने से पहले ही इस्तीफा दिया और जेडीएस नेता एचडी कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा उसी समय से सरकार गिराने का प्रयास कर रही थी और दो साल के अंदर उसको सफलता भी मिल गयी। इसके बाद कर्नाटक की राजनीति मंे लगातार उबाल आता रहा। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को हटाकर बसावराज बोम्मई को भाजपा ने सीएम की कुर्सी सौंपी। अब चुनाव मंे सबसे बड़ा मुद्दा दूध बन गया है। राज्य का ब्रांडेड दूध नंदिनी को बचाने के लिए कांग्रेस ने अभियान छेड़ा है और कहा सभा कन्नड़ियों को अमूल उत्पाद नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए। उधर, भाजपा कहती है कि उसने राज्य की दूध कंपनियों को भरपूर बढ़ावा दिया है। ध्यान रहे कि गत 5 अप्रैल को अमूल की तरफ से ट्वीट किया गया है कि बेंगलुरू के लिए दूध-दही के साथ ताजगी की नई लहर आ गयी है। विपक्षी दल ने इसे राज्य के दुग्ध उत्पाद मंे गुजरात की कम्पनी (अमूल) का हस्तक्षेप बताया है।
मई में होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गर्म है। इधर, दूध वितरक कंपनी अमूल के एक ट्वीट के बाद बीजेपी सरकार को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि 5 अप्रैल को अमूल की तरफ से एक ट्वीट किया गया जिसमें यह लिखा गया कि बेंगलुरु के लिए दूध दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है। अधिक जानकारी जल्द ही दी जाएगी। कंपनी द्वारा किए गए ट्वीट के बाद विपक्षी दलों ने इसे गुजरात बेस्ड कंपनी का राज्य में हस्तक्षेप बताया और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश बताया। विवाद बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे। विपक्षी दलों की तरफ से सवाल उठाए गए कि जब राज्य के पास अपना मिल्क ब्रांड है ही तो गुजरात के ब्रांड की क्या जरूरत है? कर्नाटक में एक होटल निकाय ने भी राज्य के (डेयरी) किसानों का समर्थन करने के लिए केवल नंदिनी दूध का उपयोग करने का निर्णय लिया। कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, सभी कन्नडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर अपने राज्य के ब्रांड को पिछले दरवाजे से राज्य में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गत दिनों कहा कि अमूल पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और उन्होंने कहा कि अमूल के साथ मिलकर नंदिनी देश में नंबर एक ब्रांड बन जाएगी। कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा कि किसी बाहरी ब्रांड की जरूरत नहीं है क्योंकि नंदिनी अमूल से बेहतर ब्रांड है। जनता दल (सेक्युलर) ने भी कथित तौर पर नंदिनी ब्रांड पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए अमूल की खिंचाई की। पार्टी की तरफ से ट्वीट किया गया कि ऐसी स्थिति में जहां कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) नंदिनी का दूध, घी और मक्खन राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध नहीं है, ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए गुजरात की अमूल कंपनी का यह विकास क्या संकेत देता है?
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर दुग्ध ब्रांड अमूल की कर्नाटक में मौजूदगी को लेकर दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया। सत्तारूढ़ दल ने कहा कि उसने कर्नाटक दुग्ध संघ (केएमएफ) और नंदिनी ब्रांड नाम से बेचे जाने वाले इसके उत्पादों को मजबूत करने के लिए विपक्षी दल से कहीं अधिक काम किया है। भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, अमूल कर्नाटक में प्रवेश नहीं कर रहा है। अमूल और केएमएफ दोनों अपने उत्पाद वाणिज्यिक प्लेटफॉर्म पर बेचते हैं। 2019 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद केएमएफ का कारोबार 10,000 करोड़ रुपये बढ़ गया। 2022 में कारोबार 25,000 करोड़ रुपये का था, जिसमें से 20,000 करोड़ कर्नाटक के किसानों के पास गए। गौरतलब है कि अमूल द्वारा बेंगलुरु के बाजार में दूध और दही बेचने की योजना की घोषणा किए जाने के बाद कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष किया था। मोदी के कर्नाटक के दौरे पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्या उनकी यात्रा का उद्देश्य राज्य को लूटना है।
मालवीय ने कहा, इसका एक कारण है कि भारत क्यों कांग्रेस पर भरोसा नहीं करता है। वे झूठ बोलते हैं। नया दुष्प्रचार अभियान है कि नंदिनी ब्रांड के मालिक कर्नाटक दुग्ध संघ का अमूल के साथ विलय होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि केएमएफ देश की दूसरी सबसे बड़ी दुग्ध सहकारी संस्था है और इसके महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा तमिलनाडु में डिपो हैं। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘केएमएफ की कुल बिक्री का 15 फीसदी कर्नाटक के बाहर होता है। नंदिनी के उत्पाद सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कई अन्य देशों को निर्यात किए जाते हैं। अमूल और केएमएफ का विलय नहीं हो रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि गुजरात दुग्ध विपणन संघ के स्वामित्व वाला अमूल कर्नाटक में प्रवेश नहीं कर रहा है तथा अमूल और केएमएफ दोनों अपने उत्पादों को ‘क्विक-कॉमर्स प्लेटफॉर्म’ पर बेचते हैं। मालवीय ने कहा, ‘‘भाजपा के कार्यकाल में कर्नाटक दूध अधिशेष राज्य है। डेयरी किसान बहुत अच्छा कर रहे हैं। ब्रांड नंदिनी के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाली कांग्रेस ने गोहत्या रोधी विधेयक का विरोध किया, हमारी नंदिनी के वध को मंजूरी दी। भाजपा की योजना नंदिनी को बड़ा ब्रांड बनाने की है।
बहरहाल, गुजरात के दुग्ध ब्रांड अमूल के बारे मंे सभी जानते हैं कि यह दुग्ध व्यापार मंे वट वृक्ष बन जाता है। यूपी में पराग इसी वट वृक्ष की छाया में सूख गया।

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