काव्य गोष्ठी आयोजित की

विकासनगर।

साहित्य संगम पछुवादून और उदगार सामाजिक, सांस्कृतिक मंच की ओर से रविवार को नगर क्षेत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता सरस्वती उनियाल और संचालन वरिष्ठ साहित्यकार एवं रंगकर्मी पुष्पेंद्र त्यागी ने किया। गोष्ठी में काव्य पाठ करते हुए हेमचंद्र सकलानी ने विरह वेदना झेल रहे प्रेमी की व्यथा का वर्णन करते हुए कहा ‘इस वर्ष वहां फिर सावन आया होगा, आंगन आंगन घन बरसा होगा। सरस्वती उनियाल ने समाज में साहित्यकारों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अपनी रचना पढ़ी कि ‘कलम की ताकत का अंदाजा अब लगा ले ए-जमाने, सिर्फ श्रृंगार ही नहीं गाती, गाती है ये वीरता के भी तराने। युवा कवियत्री नीलम शर्मा ने तन्हाई के आलम का वर्णन करते हुए कहा कि ‘बंद कमरे में जब वह तन्हा रोया होगा, दीवारों ने भी उसका दर्द महसूस किया होगा। संतोष गोयल राजवंशी ने समाज के वर्तमान परिदृश्य पर तंज कसते हुए कहा ‘देखो लोगों बस्ती-बस्ती चोर लुटेरे फिरते हैं, बीन बजाकर लूटने वाले सपेरे फिरते हैं, मनीष कुमार नेगी आशावादी रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि ‘मैं भारत नया बनाऊंगा, नया सवेरा लाऊंगा, जितना अंधेरा होगा घना, मैं उतने दीपक बनाऊंगा। पवन कुमार भागर्व ने युवाओं को जोश दिलाते हुए काव्य पाठ किया कि ‘ठान लिया है मैंने अब, लहरों से टकराना है, बिन नौका के पार मुझे, दरिया ये कर जाना है

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