अपंजीकृत दलालों पर प्रशासन सख्त, सील होंगे ऑफिस, डायरीबाज कॉलोनाइजरों के लाइसेंस-अनुमतियां होंगी रद्द

इंदौर,

रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में इंदौर के करीब 250 रीयल एस्टेट एजेंट्स का पंजीयन है जबकि इंदौर में ऐसे बोकर्स की संख्या दस हजार से अधिक है जो गली-मोहल्लों में ऑफिस खोलकर लोगों को री-सेल प्रॉपर्टी बेच रहे हैं। इसका खुलासा कलेक्टर मनीष सिंह ने किया। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि 97.5 प्रतिशत अपंजीकृत ब्रोकर अब शहर में काम नहीं कर पाएंगे। काम करना है तो उन्हें रेरा में पंजीयन कराना ही होगा। डायरी पर जारी सौदेबाजी पर प्रशासन सख्त है। कलेक्टर मनीष सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा कि पूरे जिले में प्रॉपर्टी एजेंट्स की सूची बनाई जा रही है। अब तक जो जानकारी मिली है उससे स्पष्ट होता है कि सिर्फ 2.5 प्रतिशत ही एजेंट्स रजिस्टर्ड हैं जबकि 97.5 प्रतिशत ऐसे ब्रोकर हैं जो बिना पंजीयन ही सौदे करवा रहे हैं। इनके हर कॉलोनी और मेनरोड पर ऑफिस मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर रहे हैं जिसके तहत बिना पंजीयन के कारोबार करना गैरकानूनी होगा। ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। इस संबंध में सभी एसडीएम को निर्देशित कर दिया है। यदि कहीं भी अपंजीकृत ब्रोकर का ऑफिस है तो उसे सील कर दें। पंजीकृत ब्रोकरों को अपने ऑफिस में रेरा पंजीयन भी दर्ज करना होगा। कलेक्टर ने कहा कि अब यदि डायरी पर प्लॉट बेचने की शिकायत मिलती है तो कॉलोनाइजरों का लाइसेंस निरस्त होगा। इसके साथ ही अन्य विभागों से जारी कॉलोनी की सारी सरकारी अनुमतियां भी रद्द कर दी जाएंगी। मनीष सिंह ने कहा कि पिछले दिनों जय वर्मा नामक व्यक्ति की शिकायत पर एक दलाल प्रवीण अजमेरा के खिलाफ कार्यवाही की गई थी। एफआईआर दर्ज हुई। निर्माण तोड़े गए। पता चला है कि बाद में वर्मा को उसके 50 लाख रुए का भुगतान कर दिया गया है जो कि सौदे के नाम पर अजमेरा ने लिए थे। वर्मा और उनके परिजन मिलने पहुंचे। मिठाई खिलाई, मैंने भी उन्हें बधाई दे दी। कलेक्टर ने कहा कि दलालों को यह अधिकार नहीं है कि सौदे करें और धन कमाएं बल्कि लोगों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

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