विद्युत विभाग घोटाले के आरोपियों पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं, दिए जा रहे मलाईदार पद

देहरादून –

डबल इंजन की सरकार जो भ्रष्ट्राचार मुक्त शासन प्रशासन देने के लिये सकंल्पबद्ध है । उसकी निगरानी व्यवस्था को अधिकारी अपने रसूख व धनबल के चलते घता बता रहे है ।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रकाशचन्द्र घ्यानी जो उर्जा निगम में निदेशक ( मानव संसाधन ) के पद पर कार्यरत है । जिन पर समाज सेवी गिरीशचन्द्र सोलंकी ने गम्भीर आरोप लगाये है । अपने आरोपों में उन्होंने कहा प्रकाशचन्द्र ध्यानी ने पीटकुल को भ्रष्ट्राचार का अडडा बना रखा है । टांसफर पोस्टीग में लाखो की उगयी की जा रही है । जिसके चलते पिटकुल के वित निदेशक सुरेन्द्र बब्बर अपना इस्तीफा तक दे चुके है । मामला समाचार पत्रो व टीवी चैनलों में भी छाया रहा । फिर भी कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी है । सोलकी ने मुख्यमंत्री को संबोधित अपने शिकायती पत्र में यह भी गम्भीर आरोप लगाया प्रकाशचन्द्र ध्यानी ने नौकरी में रहते हुये रेगुलर डिग्री रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय से प्राप्त की है । यह कैसे सम्भव है कोई व्यक्ति नौकरी भी करे पूरी सैलरी भी सरकार से ले और रेगुलर पढाई कर डिग्री भी प्राप्त करें । इसी मामले में भाजपा कार्यकर्ता रविन्द्र जुगरान ने इसमें जांच की मांग की थी । जिसके चलते अपर सचिव पुरण सिंह रावत ने पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड से मामले की जांच का अनुरोध किया था । सोलकी के अनुसार प्रकाशचन्द्र ध्यानी की पत्नी जो काग्रेस की वरिष्ठ नेता है । उनके रसूख के चलते कोई कार्यवाही अमल में नहीं आ पायी उल्टे प्रकाशचन्द्र ध्यानी को यूपीसीएल में निदेशक मानव संसाधन पद पर चयनित कर दिया गया और पद पर चयन होने के बाद भी प्रकाशचन्द्र ध्यानी पर आरोपो का सिलसिला जारी रहा तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह एवं उर्जा उमाकान्त पंवार ने भी इस मामले की पुष्टि की है । शिकायतकर्ता गिरीशचन्द्र सोलंकी ने मामले को उठाया माननीय मुख्यमंत्री के साथ साथ मुख्य सचिव उत्तराखण्ड सरकार , तथा उर्जा सचिव एवं महामहिम राज्यपाल से भी मामले की शिकायत कर चुके है पर उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य की विपक्ष में बैठे लोग भी अपने रसूख व धन बल के चलते अपने चहेतो पर कोई कार्यवाही नही होने देते और शायद ” एक बार तुम लुटो हम चुप रहेगे , एक बार हम लुटे तो तुम चुप रहना ” के फॉमुले पर चलाया जा रहा है । लेकिन भाजपा की मौजूदा डबल इंजन की सरकार भ्रष्ट्राचार मुक्ती और सुशासन के मुददे पर भारी बहुमत के साथ सरकार आयी थी । तमाम शिकयतो के बाबजुद यदि आरोपीयो पर कोई कार्यवाही नहीं होती तो इसका जबाब काग्रेस व भाजपा दोनो पार्टीयो को देना होगा । आखिर वो कौन लोग है जिनके प्रभाव के चलते गम्भीर से गम्भीर आरोपो से घिरे आरोपीयो पर क्यो न्यायचित कार्यवाही नही होती । क्या उत्तराखण्ड आन्दोलन में शहीद हुये शहीदों का यही सपना था ।

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