डेढ़ वर्ष बाद बाशिक महासू महाराज कोटी कनासर प्रवास पर पहुंचेंगे

विकासनगर। बाशिक महासू देवता की देव पालकी करीब डेढ़ सौ साल बाद कोटी कनासर प्रवास पर आएगी। मैंदरथ मन्दिर में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। देवता का पूरे जेठ माह (मई- जून) माह का पूजन कार्यक्रम जारी किया गया। कोविड काल में दो वर्ष तक बाशिक महासू देवता का जखोली मेला नहीं मनाया गया। इस वर्ष लोगों को अपने घरों में देव पालकी पूजन की प्रतिक्षा कर रहे हैं। वजीर दिवान सिंह राणा ने बताया कि बाशिक महासू देवता की पालकी 15 मई को मैंदरथ मन्दिर से बाहर निकलेगी। देवता बाणाधार गांव से 16 मई को कोटी गांव के कनासर पहुंचेंगे। 17 मई को देवता कनासर तपड़ में ही रहेंगे। 18 मई को कोटी गांव में सामूहिक रूप से देव पालकी पूजन किया जायेगा। वजीर दीवान सिंह राणा ने बताया कि दो- तीन जून को ऐतिहासिक जखोली मेला कैमाडा जंगल में लगेगा। देव पालकी दो दिन कैमाडा ही रुकेगी। उसके बाद बावर, देवघार, फनार खत में पूजन प्रवास पर रहेगी। 14 जून को आखिरी बाडगी पूजन मैंदरथ गांव में है। बैठक मे स्याणा रिंकू पंवार, जगमोहन सिंह, स्याणा किशन सिंह, स्याणा बाबी चौहान, स्याणा सुनील राणा, स्याणा खत मशक फतेह सिंह भण्डारी, ब्रम्हानंद, नद किशोर, मुना, रवी दत्त, आत्माराम, लायकराम, जयदत, रामचन्द्र, सुल्तान सिंह, जीत सिंह राणा, धीरज सिंह, भागमल, हरिदत जोशी, किशन सिंह चौहान आदि मौजूद रहे। बताते हैं कि बाशिक महासू देवता की जखोली मेला पहले कोटी कनासर के कनासर में होती थी। तयूना गांव के बुजुर्ग ताराचंद नौटियाल का कहना कि घर गांव के बुजुर्गों के कहे अनुसार लगभग डेढ़ साल बाद बाशिक महासू देवता की देव पालकी बावर से कंडमाड क्षेत्र के खत मशक कनासर पधार रही है। कंडमाड चार खत में से तीन खत कइलौ मेशौऊ दूनोऊ बाशिक महासू देवता को सामूहिक रूप से पूजन कराएंगे। चार खत कंडमाड के स्याणा शमशेर सिंह ने बताया कि बाशिक महासू देव पालकी पूजन कार्यक्रम के लिए शीघ्र ही खतों की मीटिंग कर आगे की रूपरेखा तैयार की जायेगी।

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