हाईकोर्ट ने मृत्युदंड पाए दोषी की सजा निरस्त की

नैनीताल। हाईकोर्ट ने अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी की तलवार से काटकर निर्मम हत्या करने के दोषी को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने मामले को दोबारा सुनने के लिए निचली अदालत को लौटा दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश आरोपी के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के आधार पर दिया है। निचली अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान नहीं लिया था। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। मामले के अनुसार टिहरी गढ़वाल के गुमाल गांव निवासी संजय सिंह ने 13 दिसंबर 2014 को अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी की तलवार से काटकर हत्या कर दी थी। इसकी रिपोर्ट आरोपी के पिता राम सिंह पंवार ने दर्ज कराई थी। दोषी संजय सिंह को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमा पांडेय की अदालत ने अगस्त 2021 में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ को न्याय मित्र नियुक्त कर आरोपी की ओर से बहस के लिए नियुक्त किया था। न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि मृत्यु दंड की सजा पाया आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है। मेडिकल बोर्ड ने भी आरोपी को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए कहा है कि वह अपने द्वारा किए जाने वाले कृत्य के परिणाम नहीं जानता है, लेकिन वह इलाज के बाद ठीक हो सकता है। पर निचली अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुना दी। न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत तथ्य व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपी को दी गई मृत्युदंड की सजा निरस्त कर आरोपी का मानसिक परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं।

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