गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश उत्सव पर गुरुद्वारों में हुआ शबद कीर्तन

विकासनगर। सिख धर्म के दसवें गुरु धन धन श्री गुरु गोविंद सिंह जी साहिब का 354 वां पावन प्रकाश उत्सव गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा अजीत नगर में बड़ी धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारा में हजूरी रागी दस्ते ने शबद, कीर्तन कर संगत को निहाल किया। सचखंड श्री अमृमसर साहिब के हजूरी रागी ने बड़े ही रस भरे कीर्तन से गुरु के आदर्शों का बखान किया। इस दौरान जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल के नारों से गुरुद्वारा गुंजायमान होता रहा। अमृतसर साहिब के हजूरी रागी ज्ञानी शुभदीप सिंह ने अपने शबद कीर्तन के माध्यम से बताया कि गुरु गोविंद सिंह साहिब ने अपना पूरा जीवन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित किया। इसके के लिए उन्होंने कई बार आततायियों से युद्ध लड़े। अपने साहिबजादों का बलिदान दिया। लेकिन धर्म की रक्षा के मार्ग पर अडिग रहे। रागी ज्ञानी जगदीप सिंह ने बताया कि गुरु साहिब का पछुवादून और पांवटा साहिब से गहरा नाता रहा है। यमुना किनारे पांवटा साहिब में गुरु गोविंद सिंह लंबा वक्त व्यतीत किया। यहां से उन्होंने धर्म की रक्षा की अलख जगाई। यहां पग पग पर गुरु साहिब के उपदेश भरे पड़े हुए हैं। बताया कि देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह साहिब ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था, इसकी दूसरी मिसाल न कभी थी और न होगी। इसके साथ ही पछुवादून के ग्रामीण क्षेत्रों के गुरुद्वारों में सुबह से ही शबद कीर्तन का दौर चलता रहा। गुरुद्वारों में पंजप्यारों के इतिहास और धर्म की रक्षा में उनके योगदान की जानकारी दी गई। सभी गुरुद्वारों में लंगर आयोजित किया गया। शबद, कीर्तन से निहाल होने आए संगत ने एक दूसरे को पावन पर्व की बधाई दी। इस दौरान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार गुरजीत सिंह, हरविंदर सिंह,भूपेंदर सिंह, प्रताप सिंह, बचित्तर सिंह, सरदार नरेंद्र सिंह, गुरजीत सिंह, बलजीत सिंह, हरमीत सिंह, इंद्रपाल सिंह, अमरजीत सिंह, कंवलजीत सिंह आदि मौजूद रहे।

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