सामूहिक दायित्व से सहेजा जाएगा हिमालय

विकासनगर। हिमालय सिर्फ एक पर्वतमाला ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का आधार भी है। हिमालय की तलहटी में ही भारतीय संस्कृति पल्लवित और पुष्पित हुई है। हिमालय भारत का रक्षा कवच भी है। हिमालय की कंदराओं में ज्ञान का भंडार और जीवन का आधार भरा पड़ा है। लिहाजा सामूहिक दायित्व के सोच से ही हिमालय को सहेजा जा सकता है। अलग-अलग टुकड़ों में प्रयास करने के बजाए सारे लोग एकजुटता से अभियान छेड़ें, तभी समाधान निकलेगा। हिमालय हमारे सरोकारों से जुड़ा है, इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों की जनसहभागिता जरूरी है।
इसी सोच के चलते हिमालय बचाओ अभियान के तहत पछुवादून में दिन प्रतिदिन कारवां जुड़ता जा रहा है। बुधवार को उच्च प्राथमिक विद्यालय जुडली में पांच शिक्षकों समेत 125 छात्र-छात्राओं ने हिमालय बचाने की शपथ ली। शिक्षक बीएस पाल ने शपथ दिलाते हुए हिमालय को सनातन संस्कृति और देश की गंगा जमुना तहजीब का उद्गम बताया। कहा कि सामरिक सुरक्षा के लिए हिमालय बहुत महत्वपूर्ण है। सेपियंस स्कूल लाइन जीवनगढ़ में एक हजार छात्र-छात्राओं को प्रधानाचार्य नवीन तनेजा ने शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि हिमालय के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।
हिमालय बचाने को सामूहिक चिंतन जरूरी
नगर पालिका कार्यालय में अधिशासी अधिकारी बद्री प्रसाद भट्ट ने कर्मचारियों की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को एकमत होकर एक साथ आगे बढ़ना होगा। कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हिमालय के सभी स्टोकहोल्डर्स को साथ मिलकर नीति बनानी होगी।
हिमालय के प्रति अच्छी सोच करें विकसित
शिक्षा विभाग के ब्लॉक मुख्यालय में खंड शिक्षाधिकारी वीपी सिंह ने कर्मचारियों को हिमालय बचाओ अभियान की शपथ दिलाई। बीईओ ने कहा कि हिम-आलय के बजाय हम-आलय की सोच को विकसित किया जाना चाहिए। हमारा आलय ही हमें और आने वाली नस्लों को संरक्षण देगा।

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