बेहतर इलाज के लिए मरीज व उनके तीमारदार भटके   

 
कानपुर
शहर में अभी भी बेहतर इलाज के लिए मरीज व उनके तीमारदार भटक रहे है। वहीं निजी अस्पताल इलाज के नाम पर मरीज को भर्ती तो कर लेते है लेकिन बेहतर स्वास्थ सुविधायें मुहैया कराने का झांसा देकर मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे है। तो वहीं सरकारी अस्पतालों की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है।
फजलगंज निवासी अशद अपनी माँ संग पिता सलाउद्दीन को बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने पर गुरूवार सुबह कार्डियोलॉजी लेकर पहुंचे। आरोप है कि यहां इलाज करने के बजाय डॉक्टरों ने उन्हें हैलट रेफर कर दिया। जिसके बाद वह पिता को लेकर हैलट पहुंचे। यहां डॉक्टर ने भर्ती करने के पहले जांचेेें कराने भेजा।
बाल रोग विभाग रेफर किया
कल्याणपुर के छपेड़ा पुलिया निवासी सुल्तान सिंह 17 वर्षीय बेटी आकांक्षा को लेकर हैलट पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने किशोरी को देखने के बाद बाल रोग विभाग रेफर कर दिया। पिता ने बताया कि बेटी को अचानक चक्कर आ गया था और उसे कमजोरी महसूस हो रही थी।
इलाज के लिए भटके
पनकी निवासी अभिषेक अपने बुजुर्ग पिता राकेश तिवारी को हाई बीपी,शुगर और सांस की तकलीफ होने पर वह पिता को लेकर इलाज के लिए निजी अस्पताल ले गए,लेकिन वहां निराशा ही हाथ लगी। गुरूवार दोपहर उनके पिता की अचानक हालत बिगड़ गई। जिसके बाद वह पिता को आनन-फानन हैलट लेकर पहुंचे।
निजी अस्पताल में बिगड़ी हालत
मूलगंज निवासी शकील अहमद ने अपनी बुजुर्ग माँ  फातिमा को हाई बीपी और सांस लेने में तकलीफ होने पर बुधवार रात स्वरूप नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। परिजन अस्पताल के इलाज से संतुष्ट नहीं थे। गुरूवार दोपहर वह गंभीर हालत में माँ को लेकर हैलट पहुंचे।
जांच की सुविधा उपल्बध नहीं होने का लगाया आरोप  
हरदोई निवासी मुनेंद्र सिंह की पत्नी ममता को गले में तकलीफ और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मुनेंद्र के मुताबिक पत्नी को लेकर सुबह जेके कैंसर हॉस्पिटल गए। यहां डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती करने के बजाय कोरोना जांच और बायोप्सी कराने के लिए हैलट रेफर कर दिया। आरोप है कि  जेके कैंसर हॉस्पिटल में कहा गया कि,यहां जांच की सुविधा उपल्बध नहीं है।

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