बादशाहीथौल के पारंपरिक मेले में लोगों की खरीदारी

नई टिहरी। कोरोना महामारी के दो साल बाद इस वर्ष पहाड़ में पूरे बैशाख के महीने में विभिन्न जगहों पर आयोजित होने वाले पारम्परिक थौल-मेलों की रौनक दिखाई देने लगी है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग बड़ी संख्या में मेलों में पहुंच रहे है। मंगलवार को छह गते बैशाख पर बादशाहीथौल में पारंपरिक मेले का आयोजन हुआ। मेले में आस-पास के ग्रामीणों एवं स्थानीय लोगों ने जमकर खरीदारी की। कवि सोमवारी लाल सकलानी तथा सुरम तोपवाल ने बताया कि बादशाहीथौल में आयोजित होने वाला मेला राजशाही के जमाने से चला आ रहा है। कुछ वर्षों पहले थौल मेलों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में भारी उत्साह बना रहता था, दूर दराज के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे। कहा आधुनिकता की चकाचौंध में धीरे-धीरे थौल मेलों की लोकप्रियता कम होती चली गई। कहा मेले हमारी संस्कृति की पहचान है, आने वाली पीढ़ी के लिये बचाये रखना हम सब की जिम्मेदारी है। मेले में पहुंचे लोगों ने खरीदारी की। बताया सात गते बैशाख को अलेरु गांव के किल्याखाल में धन सिंह रत्थी देवता तथा आठ गते बैशाख को वीसी गब्बर सिंह की याद में चंबा का प्रसिद्ध मेले का आयोजन होगा।

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