बिना लायसेंस के चल रही मेडिकल दुकान, धड़ल्ले से बेच रहे नशीले पदार्थ

रीवा।

शहर ही नहीं ग्रामीण अंचलों में भी नशीले पदार्थों का कारोबार जोर पकड़ता जा रहा है। बिना लायसेंस के चल रहे मेडिकल स्टोर में नशीले कप सिरप की बिक्री खुलेआम की जा रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि ऐसी दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों के पास बीमारी व दवाई के संबंध में किसी भी तर का अनुभव न होने की वजह से लाभ कम नुकसान ज्यादा हो रहा है। वहीं नशीली दवा की बिक्री में जरूर महारत हासिल करते जा रहे हैं। जिले के नईगढ़ी कस्बे सहित पूरे अंचल में कफ सिरप माफिया का एकछत्र राज चल रहा है। कस्बे के ग्रामीण क्षेत्र में शराब एवं गांजा माफिया की तर्ज पर अब यहां नशीली दवा माफिया ने अपना जाल बिछा लिया है। आलम यह है कि दो चार नहीं बल्कि दर्जनों मेडिकल स्टोर में इसकी बिक्री जमकर हो रही है। जहां सिर्फ अमानक स्तर की दवाइयां में नशीली सिरप की बिक्री होती है। ऐसे मेडिकल स्टोर को संचालित करने वाले अधिकतर व्यक्तियों के पास मेडिकल स्टोर संचालन का न तो लाइसेंस है और न ही उनके अनुरूप किसी भी प्रकार की डिग्री है। फिर भी स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और खाद्य विभाग की मिलीभगत से कस्बे से लेकर ग्रामीण अंचल में कुकुरमुत्ते की भांति मेडिकल स्टोर खुल गए हैं। जहां उत्तर प्रदेश बिहार से अमानक स्तर की दवाइयां और रेस कफ सिरप माफिया गिरोह द्वारा पहुंचाया जा रहा है। जो गली मोहल्लों से लेकर कस्बाई क्षेत्रों में बिक्री की जाती है। गांव-गांव में खुली दुकानों में अंग्रेजी दवाइयां कम और नशीली रेस कफ सिरप की बिक्री ज्यादा हो रही है। बताया जाता है कि यहां चिकित्सकों की दवाई लिखी पर्चियां कम आती हैं बल्कि नशेडिय़ों की भीड़ ज्यादा होती है। स्थिति यह है कि इन मेडिकल स्टोरों में दवाई पर्ची की जगह कोड वर्ड का उपयोग होता है। नईगढ़ी कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेआम चल रहे झोलाछाप चिकित्सकों के अवैध मेडिकल स्टोरों का निरीक्षण एक दशक से आज तक किसी भी जिम्मेदार स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा नहीं किया गया। सूत्रों की मानें तो इन अवैध विक्रेताओं और मेडिकल अधिकारियों एवं खाद्य विभाग के अफसरों का विधिवत समझौता चलता है। जिससे निरीक्षण अधिकारी दवाई विक्रेताओं के यहां निरीक्षण न कर समझौता शुल्क तक ही सीमित रह गए हैं। जिसका परिणाम यह है कि शराब की पैकारी की तरह अमानक स्तर की रेस और जिम्मेदार निरीक्षण अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा है। रीवा जिले के नईगढ़ी सहित अंचल में संचालित मेडिकल स्टोर उधार की डिग्री में चलाए जा रहे हैं। हकीकत यह है कि मेडिकल स्टोर की योग्यता रखने वाला व्यक्ति या तो नौकरी करता है या कहीं और रह रहा है। जबकि गैर डिग्रीधारी व मेडिकल के बारे में कुछ न जानने वाला व्यक्ति उधार की डिग्री में खुलेआम मेडिकल स्टोर का संचालन कर रहे हैं।

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