शिवराज के विकास के ढिंढोरे के बाद भी विंध्य के हजारों घरों में क्या दिवाली इनकी हर रात काली?

रीवा।
एशिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट विंध्य में स्थापित है। यही नहीं, यहां की बिजली से दूसरे राज्य रोशन होते हैं और देश की राजधानी दिल्ली की मेट्रो ट्रेन भी दौड़ रही है। लेकन यह दुर्भाग्य की बात है कि इतनी उपलब्धि होने के बाद भी विंध्य के 56266 घरों में अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। यहां लोग चिमनी और लालटेन के ही सहारे अपने घरों को रोशन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रीवा से 25 किलोमीटर दूर गुढ़ क्षेत्र के पांच गांव की करीब 1590 एकड़ जमीन पर सोलर पावर प्लांट लगाया गया है। मप्र ऊर्जा विकास निगम और भारत सरकार के नवकरणीय ऊर्जा के संयुक्त उपक्रम के तौर पर स्थापित है। बावजूद इसके सरप्लस बिजली स्टेट के दावे वाले प्रदेश में अब भी हजारों घर सरकारी योजनाओं की रोशनी से वंचित हैं। पूरे प्रदेश में यह आंकड़ा सवा दो लाख से ऊपर है। अब हर घर तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना तैयार की गई है, लेकिन कोरोना का हवाला देकर कंपनी अब तक इस योजना पर अमल नहीं कर पाई है। पूर्व क्षेत्र कंपनी ने प्रधानमंत्री सहज बिजली घर योजना में छूटे टोले-मजरों तक बिजली पहुंचाने के लिए 564 करोड़ की योजना तैयार की है। इसके लिए कंपनी ने 2011 की जनगणना को आधार बनाया है। ऐसे सभी घरों को कंपनी चिन्हित कर चुकी है। वहीं आकलन भी करा चुकी है कि बिजली पहुंचाने के लिए कितने संसाधनों की जरूरत है। 11 केवी लाइन 4260 किमी, बिजली ट्रांसफार्मर 5388, एलटी लाइन 7250 किमी, कुल लागत 564 करोड़ रुपए, अभी पूर्व क्षेत्र कंपनी में 43 लाख उपभोक्ता हैं। विंध्य क्षेत्र ऊर्जा का हब के रूप में विकसित हो रहा है। विंध्य में सिरमौर टोंस हायडल कार्पोरेशन, सिलपरा टीएचसी, झिन्ना टीएचसी, देवलोद टीएचसी, 750 मेगावाट का गुढ़ सोलर पॉवर प्रोजेक्ट, टीएनसीपी का सिंगरौली सुपर ताप विद्युत संयंत्र, विंध्याचल सुपर ताप विद्युत संयंत्र, बिरसिंहपुर पॉली में इंदिरा गांधी ताप विद्युत गृह की पांच यूनिट स्थापित हैं। जहां से पर्याप्त मात्रा में बिजली का उत्पादन होता है। विंध्य क्षेत्र के लिए यह सौभाग्य की बात है कि यह एक एनजी हब के रूप में आगे बढ़ रहा है। साथ ही यह इस क्षेत्र का दुर्भाग्य भी है कि पचासों हजार परिवारों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है। यह बात गले से नहीं उतरती है कि थर्मल, हायडल, और सोलर प्लांटों से इतनी बड़ी मात्रा में बिजली का उत्सर्जन होने के बाद भी आखिर लोगों के घरों तक कनेक्शन क्यों नहीं पहुंच पा रहा है। दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ी वजह सरकारी बिजली की नीतियों का सही ढंग से संधारण और संचालन न होना है। विभाग में बैठे भ्र्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से बिजली का दुरुपयोग हो रहा है। बड़ी संख्या में बिजली चोरी होती है और काफी ज्यादा मात्रा में लाइन लॉस की समस्या विभाग के सामने खड़ी है। जिसका निवारण करने में अधिकारियों के हाथ-पांव फूल जाते हैं। बिजली विहीन घरों की संख्या इस प्रकार है रीवा में 16121, सिंगरौली में 12506, शहडोल में 8003, सतना में 6520, अनूपपुर में 5773, सीधी में 4672 एवं उमरिया में 2571 घर बिजली विहीन हैं। इस संबंध में ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, पूर्व क्षेत्र के मुख्य महाप्रबंधक अशोक धुर्वे का कहना है कि सबसे अधिक विद्युत विहीन घर छिंदवाड़ा, मंडला और सिंगरौली जिले में हैं। ये घर जंगल से लगे हुए हैं और दुर्गम स्थलों पर हैं। कई ऐसे घर मिले, जो गांव की आबादी से दूर खेतों में मकान बना लिए हैं। बिजली विहीन घरों को कनेक्शन देने से पहले यहां बिजली लाइन, ट्रांसफार्मर आदि लगाने का काम होना है। जल्द ही सभी घरों में बिजली पहुंच जाएगी।

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