वाह रे शिवराज में पटवारी का कमाल खेत में लहलहा रही फसल और पटवारी ने लिख दिया बंजर भूमि

रीवा।

मध्यप्रदेश सरकार जहां एक ओर न खाऊंगा और ना खाने दूंगा की नीति के साथ किसानों की परेशानी बढ़ा रहे हैं। वैसे भी उस समय किसान खाद की किल्लत से जूझरहे हैं। रीवा जिले की तहसील मऊगंज के ग्राम मऊबगरदरा-78 के पटवारी बृजेश कुमार मिश्रा द्वारा बिरादरी में जानबूझकर की गई गड़बड़ी की शिकायत सरकार तक पहुंचाई गई है। यही नहीं, पटवारी के सताए कई किसान तहसील न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। दरअसल, सीएम जब विधानसभा अध्यक्ष की सायकल यात्रा के समापन समारोह में शामिल होने के लिए देवतालाब पहुंचे थे, तभी क्षेत्र के कुछ किसानों ने सीएम से गुहार लगाई। जहां उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। साथ ही यह भी कहा कि अगर पटवारी ने गिरदावरी में जानबूझकर या किसी से पैसा लेकर गड़बड़ी की है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि मप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व रिकॉर्ड दुरुस्त करने का काम सीमावार से शुरु किया गया है, जो आगामी 15 नवम्बर तक प्रदेश में जारी रहेगा। पटवारी का कारनामा – ग्राम मऊबगदरा के खसरा नम्बर 164/1/2 में मात्र उड़द की खेती हुई थी, लेकिन उसमें उड़द के साथ तुअर भी लिख दिया गया। खसरा नम्बर 164/1/3 में भी उड़द की बोवनी की गई थी, जिसमें पटवारी ने उड़द के साथ तुअर दर्शा दिया। खसरा नम्बर 166/1/2 में तिल की बोवनी की गई थी, जहां बंजर (रिक्त) भूमि लिख दिया गया। खसरा नम्बर 166/1/1 में हल तक हीं चला और पूरे भाग में अरहर की फसल लिख दी। खसरा नम्बर 158/1 में धान की बोवनी की गई थी, लेकिन पटवारी ने पूरे नंबर को रिक्त भूमि दर्शा दी। खसरा नम्बर 157/1/2 में हल नहीं चला फिर उसमें उड़द और तुअर फसल की बोवनी बता दी गई। खसरा नम्बर 146/4 में अरहर की बोवनी की गई,लेकिन पवारी ने पूरे भाग में बंजर (खाली) भूमि दर्ज कर दिया। जबकि इस नम्बर पर आज भी अरहर की फसल लहलहारही है। मऊबगदरा के पटवारी बृजेश कुमार मिश्रा के कारनामे यही नहीं थमते। पटवारी ने विशेष रुचि लेते हुए खसरा नम्बर 156 के भूमि स्वामी का नक्शा तरमीम प्रस्ताव बनाकर तहसील कार्यालय में फाइल तैयार कर समिट कर दी। जबकि उक्त खसरे में छह हिस्सेदार और हैं। लेकिन किसी भी पट्टेदार को पटवारी ने भनक तक नहीं लगने दी और दूसरे पंचायत के वरिष्ठ समाज सेी से झूठ बोलकर हस्ताक्षर करा लिए। जबकि सच्चाई यह है कि समाज सेवी उक्त भूमि के आसपास की भूमि स्वामी ही नहीं हैं। सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का दावा कर रही है और यह भी कह रही है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना हो जाएगी। लेकिन यहां जिम्मेदार पटवारी ही सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पटवारी के कारनामे ही बयां कर रहे हैं। गौरतलब है कि गिरदावरी के काम के लिए हल्का पटवारी को किसानों के खेत-खेत जाकर भौतिक सत्यापन करना पड़ता है, लेकिन मऊबगदरा में तो यह सब घर बैठे ही कर दिया गया। इससे किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

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