संस्कृत के संरक्षण और उत्थान के लिए कार्य जरूरी

 

ऋषिकेश। जयराम आश्रम महाविद्यालय में संस्कृति संगोष्ठी में वक्ताओं ने संस्कृत के संरक्षण व उत्थान के लिए कार्य करने को लोगों को प्रेरित किया। मंगलवार को जयराम आश्रम महाविद्यालय में संस्कृत अकादमी हरिद्वार की ओर से आयोजित संस्कृति संगोष्ठी में मुख्य अतिथि जयराम आश्रम के अध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि संस्कृत के प्रचार-प्रसार, संरक्षण, संवर्धन के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। अकादमी सचिव रमेश कुमार ने कहा कि हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत पूरे विश्व में सबसे प्राचीन है। आयुर्वेद, वेदों से पूरे संसार को एक नई राह मिली है।

संयुक्त सचिव विरेंद्र पाल ने कहा कि वर्तमान में विशेष तौर पर युवा अपनी इस समृद्ध विरासत को भूलकर जिस तरह से पश्चिमी सभ्यता का अंधाधुंध अनुसरण कर रहे हैं, वह बहुत गलत है। मौके पर संस्कृत शिक्षा निदेशक शिवप्रसाद खाली, डा. जर्नादन कैरवान, मायाराम रतूड़ी, विनोद अग्रवाल, विपिन बहुगुणा, विनोद गैरोला, विजय जुगलान, संजय शास्त्री, सुशील नौटियाल, जितेंद्र भट्ट, विनायक भट्ट, प्रेमचंद नवानी, सूर्य प्रकाश रतूड़ी, हंसराज भट्ट, अंजना उनियाल, गंगाराम चमोली, पूजा शर्मा, महेश चमोली, सुभाष डोभाल आदि उपस्थित रहे।

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