महर्षि दयानंद का जन्मोत्सव व ऋषि बोधोत्सव हर्षोल्लास से मनाया
देहरादून। आर्य समाज धामावाला के सत्संग भवन में महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्मोत्सव व ऋषि बोधोत्सव भावपूर्ण व हर्षोल्लास से मनाया गया। आचार्य विद्यापति शस्त्री के यज्ञ के बाद सहारनपुर से आए भजनोपदेशक पं. सुमित्र अंगिरस ने भजन, उपदेश के माध्यम से सभा में उपस्थित सभी आर्यजन को आनन्दित किया।
मुख्य वक्ता वैदिक विद्वान शैलेश मुनि सत्यार्थी ज्वालापुर ने महर्षि स्वामी दयानन्द के जीवन के कई प्रसंगों की चर्चा करते हुए उनके ज्ञान, त्याग, तपस्या और योगदान पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि भारत की स्वाधीनता के दीवाने भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल , लाला लाजपत राय, वीर सावरकर आदि ने सत्यार्थ प्रकाश पढ़ कर ही स्वामी जी से प्रेरणा पाई थी। अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द ने स्वामी दयानन्द से प्रेरणा लेकर गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की। स्वामी जी ने विष देने वाले जगन्नाथ को भी क्षमा कर दिया और अंतिम क्षण में ईश्वर तेरी इच्छा पूर्ण हो कहकर नश्वर शरीर को छोड़ दिया। कार्यक्रम में आर्य समाज धामावाला के वरिष्ठ सदस्य डॉ. आदित्य आर्य, ओपी मल्होत्रा, मदन मोहन आर्य, कमला नेगी, नारायण दत्त पांचाल, अशोक नारंग, धीरेन्द्र मोहन सचदेव, अलोक कुमार, आदर्श कुमार अग्रवाल, आनन्द सिंह आर्य, पवन कुमार आर्य, विश्व मित्र गोगिआ, सुभाष चन्द्र गोयल, ज्ञानचन्द गुप्ता, राम बाबू सैनी, संगीता चड्ढा, स्नेहलता खट्टर, नवीन सचदेव, मृदुला गुलाटी, नरेश गर्ग, शिक्षा गर्ग, अश्विनी पंचाल, आर्य समाज धामावाला, आर्य समाज कौलागढ़, आर्य समाज करणपुर के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य समाजों के सदस्य, पदाधिकारी उपस्थित रहे। मंच संचालन नवीन भट्ट ने किया। प्रधान सुधीर गुलाटी ने मुख्य अतिथियों, वक्ता, भजनोपदेशक व श्रोतागणों का अभिनन्दन किया।