ऋषि गंगा कैचमेंट एरिया में तेजी से पिघल रहे विशालकाय ग्लेशियर
नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व के ऋषि गंगा कैचमेंट क्षेत्र में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इस क्षेत्र के आठ बड़े ग्लेशियरों की औसतन दस फीसदी लंबाई में कमी आई है। साथ ही पूरे क्षेत्र में लगभग चार दशक में 26 फीसदी तक बर्फ कम हो चुकी है और स्नो लाइन भी तेजी से कम होती जा रही है, जो प्रकृति और पर्यावरण के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2003 से 2018 में उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों और अन्य भू-विशेषेज्ञों की मदद से नंदोदेवी बायोस्फीयर रिजर्व और कोर जोन नंदादेवी नेशनल पार्क क्षेत्र में प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति पर शोध किया गया था। इस दौरान वैज्ञानिकों ने यहां उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी हिम चोटी नंदादेवी के आसपास के आठ ग्लेशियरों का भी वृहद रूप से अध्ययन किया। इनमें नार्थ व साउथ नंदादेवी ग्लेशियर, नार्थ ऋषि व साउथ ऋषि, त्रिशूल, रौंठी आदि ग्लेशियर पर शोध करते हुए रिपोर्ट तैयार की गई।
ये सभी ग्लेशियर ऋषि गंगा कैचमेंट क्षेत्र में आते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि ग्लेशियरों की बर्फ तेजी से पिघल रही है। कैचमेंट क्षेत्र में वर्ष 1980 से 2018 तक 26 फीसदी बर्फ कम हो चुकी है और औसतन प्रत्येक ग्लेशियर की लंबाई दस फीसदी कम हो चुकी है। शोध के दौरान यह भी पाया गया कि नार्थ ग्लेशियर की तुलना में साउथ ग्लेशियर के पिघलने की गति अधिक है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डा. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि वर्ष 1980 में नंदादेवी रिजर्व पार्क को विश्व धरोहर घोषित करने के बाद यहां आमजन की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई थी। इस प्रतिबंध के 23 वर्षों के बाद वहां प्रकृति, पर्यावरण व प्राकृतिक संसाधनों पर क्या असर पड़ा है, इसे लेकर 2003 में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के माध्यम से यह अध्ययन किया गया था।
इस दौरान पाया गया कि इस क्षेत्र में विशालकाय ग्लेशियर तेजी से सिकुड रहे हैं और बर्फ पिघल रही है, जो बढ़ते तापमान से हो रहा है। यहां बर्फबारी कम और बारिश अधिक हो रही है। डा. बिष्ट के अनुसार केदरानाथ व बदरीनाथ समेत अन्य ऊंचाई वाले स्थानों पर भी बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ी है।