परमार्थ निकेतन आश्रम में लिया गया प्लास्टिक फ्री इण्डिया का संकल्प

। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आश्रम के सेवकों को स्टेनलेस स्टील की बाॅटल भेंट कर प्लास्टिक बाॅटल फ्री आश्रम का संदेेश देते हुये सभी से संकल्प कराया कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अपने राष्ट्र को स्वच्छ, हरित और प्लास्टिक मुक्त बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पाद जैसे- प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और प्लास्टिक की थैलियों के प्रयोग को बंद करना होगा। पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होते है और आमतौर पर ये लैंडफिल में चले जाते हैं जहाँ ये भूमि एवं जल में प्रवेश कर दोनों को प्रदूषित करते है। भारत में कुल प्लास्टिक कचरे का 70 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों से है, इसलिये इसे समाप्त करने के लिये विशाल स्तर पर श्रमदान करने की आवश्यकता है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम सभी को अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा और कचरा न फैलाकर और अपशिष्ट पृथक्करण एवं अपशिष्ट प्रबंधन में मदद करके स्वच्छ और प्लास्टिक फ्री इन्डिया के निर्माण में योगदान प्रदान करना होगा।

बच्चों को शिक्षा, पाठयक्रम और आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना होगा और उनके व्यवहार में बदलाव लाना होगा क्योंकि प्लास्टिक के कारण भूमि पर खतरनाक रसायनों उत्पन्न होते है, जिससे भूमि की गुणवत्ता में गिरावट आती है। प्लास्टिक के जलने से वातावरण में जहरीले रसायन उत्पन्न होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं जिससे सभी जीवित प्राणियों में श्वसन संबंधी विकार पैदा होते हैं। जब भी प्लास्टिक को गड्ढे में फेंक दिया जाता है, तो उसमें मौजूद खतरनाक रसायन वर्षा होने पर भूमिगत रूप से रिसने लगते हैं और उसके जहरीले तत्त्व जल स्तर में प्रवेश कर अप्रत्यक्ष रूप से भूजल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। कई झीलों और महासागरों में पानी की सतह पर तैरते हुए प्लास्टिक के मलबे से बड़ी संख्या में जलीय जीव प्रभावित होते हैं इसलिये प्लास्टिक का उपयोग जितनी जल्दी हो हमें बंद कर देना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गंगा जी की आरती में भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने का संकल्प कराया।

 

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