राज्य आंदोलनकारी मंथरा पंत के निधन पर जताया शोक
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मातृ शक्ति मंथरा पंत (89) का अस्कमात निधन होने पर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने शोक जताया है। प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती के मुताबिक वह कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थी। उनके पति का पहले ही निधन हो चुका था। सोमवार को अन्तिम संस्कार के लिए उनके आवास दिव्य विहार अंबीवाला से हरिद्वार ले जाया गया। उन्होंने बताया कि पृथक उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वह धरना प्रदर्शन, बन्द-चक्का जाम, जलूस प्रदर्शन से लेकर जेल भरो आंदोलन में हमेशा आगे रही। वह संयुक्त संघर्ष समिति में रणजीत सिंह वर्मा व सुशीला बलूनी के साथ हमेशा संघर्षरत रही। वह महिलाओं के समूह के साथ ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, आईआरडीई, डील, ओएनजीसी., पोस्ट आफिस जैसे संस्थानों को बन्द कराने व भूख हड़ताल में पीछे नहीं रही। आंदोलन के दौरान वह घायल भी हुई। उनके निधन की खबर सुनकर सभी राज्य आंदोलनकारियों में शोक की लहर है। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष सुशीला बलूनी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य गीता बिष्ट, सत्या पोखरियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, महासचिव रामलाल खंडूड़ी, रविन्द्र जुगरान, ओमी उनियाल आदि ने कहा कि जब भी पुलिस लाठीचार्ज करती तो वह उनके आगे आ जाती। उन पर लाठी न लगे तो स्वयं उपर लेट जाती थी। शोक व्यक्त करने वालों में केशव उनियाल, सुलोचना भट्ट, भूमा रावत, वेदा कोठारी, राधा तिवारी, नवनीत गुसाईं, जबर सिंह पावेल, मुन्नी खंडूड़ी, बीर सिंह रावत, शकुन्तला रावत, बीर सिंह, मोहन रावत, जयदीप सकलानी, सतेन्द्र भण्डारी, राजेश पांथरी, सुरेश नेगी, विरेन्द्र सकलानी, गणेश डंगवाल, सुशील त्यागी, सुमित थापा, अरुणा थपलियाल, संदीप गुप्ता, विनोद असवाल, सतेन्द्र नोगाईं, संतन सिंह रावत, राजेश्वरी नेगी, गीता बिष्ट, प्रमिला रावत, सुलोचना गुसाईं, प्रभा नैथानी, भुवनेश्वरी नेगी, शकुंतला नेगी, कैलाश ध्यानी आदि शामिल थे।