कोरोना ने बदले राजनीतिक कुंडली के योग, चार साल के काम पर भारी पड़ रही कोविड की चुनौती

देहरादून

चुनावी साल में कोरोना संकट ने राजनीतिक कुंडली के योग बदल डाले हैं। दूसरी लहर आने से पहले सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों ने अपने साढ़े चार साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच जाने की योजना बनाई थी।
विपक्ष ने सरकार और सत्तापक्ष के विधायकों के रिपोर्ट कार्ड को जनता के बीच ले जाकर सियासी हवा का रुख बदलने के मंसूबे पाले थे। लेकिन अब उनके चार साल के काम पर कोविड की चुनौती भारी पड़ रही है। उनकी राजनीतिक कुंडली में कोविड महामारी बुरे योग की तरह दाखिल हुई।
साफ दिखाई दे रहा है कि राज्य में मैदान से लेकर पहाड़ तक कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। हर दिन 100 से ज्यादा मौतें हो रही हैं। सत्तारूढ़ दल होने के कारण भाजपा पर ज्यादा दबाव है। सबकी निगाहें सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के लोगों पर लगी हैं कि वे उन्हें इस कोरोना के जलजले से सुरक्षित बाहर निकालेंगे। इसलिए निगाहें जनप्रतिनिधियों खासतौर पर विधायकों को खोज रही है।
लेकिन कोरोना संक्रमण का भय सभी को है। इस खतरे के बीच सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ विधायक सक्रिय हैं तो कुछ पर आरोप लग रहे हैं कि वे मोर्चे से नदारद हैं। ऐसी शिकायतें भाजपा केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंची। पार्टी प्रभारी दुष्यंत गौतम को वर्चुअल बैठक में यह निर्देश जारी करने पड़े कि पार्टी का हर विधायक कोविडकाल में जनता के साथ खड़ा होगा और उनकी समस्याओं का समाधान कराएगा।

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