प्रदेश की 80 फीसदी आवासीय परियोजनाओं पर ब्रेक, अब भी ज्यादातर में काम बंद

देहरादून

प्रदेश में करीब 80 फीसदी आवासीय परियोजनाओं पर ब्रेक लग गया है। इनमें से ज्यादातर का काम पिछले लंबे समय से बंद पड़ा है। कोरोना के कारण रेरा ने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए छह माह का अतिरिक्त समय दिया था, लेकिन उसके बाद भी अधिकांश प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए हैं। कुछ ऐसी परियोजनाएं भी हैं, जिनका काम स्थायी रूप से ठप पड़ा है। इससे निवेशकों के करोड़ों रुपये फंसने का अंदेशा है।
कोरोना की पहली लहर और उसके बाद लगे लॉकडाउन को देखते हुए रेरा ने उन सभी रजिस्टर्ड हाउसिंग प्रोजेक्ट को काम पूरा करने के लिए छह माह का अतिरिक्त समय दिया था, जिनकी अवधि 25 मार्च के बाद समाप्त हो रही थी। वहीं, डेवलपमेंट अथॉरिटी के नक्शे की अवधि नौ माह के लिए बढ़ा दी गई थी।
उसके बाद अब तक एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है। छूट की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। लेकिन ज्यादातर परियोजनाओं का काम अब भी पूरा नहीं हो पाया है। कई परियोजनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें कोरोना लॉकडाउन के बाद से कुछ भी काम नहीं हुआ है।
बिल्डरों को आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए छूट मिलने की संभावना कम है। पहले ही सरकार छह माह का अतिरिक्त समय दे चुकी है। अब तक करीब 13 माह का समय बढ़ाया जा चुका है। पहले चरण में छूट इसलिए भी दी गई थी क्योंकि उस दौरान तीन माह के लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य भी ठप रहे। इस बार सरकार ने निर्माण कार्यों को कर्फ्यू से छूट दी है।
कई बड़ी आवासीय परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनमें सैकड़ों निवेशकों ने पैसा लगाया है। निर्माण जितनी देर से पूरा होगा, निवेशकों को उतना ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अलावा कुछ परियोजनाएं ऐसी भी हैं, जिन पर स्थायी रूप से ब्रेक लग सकता है। ऐसे में वहां निवेश करने वालों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है।
कई परियोजनाएं ऐसी भी हैं, जिनमें पिछले करीब एक साल से कुछ भी काम नहीं हुआ है। इनमें मुख्य तौर पर विकास प्राधिकरणों की ओर से तैयार किए जा रहे प्रोजेक्ट शामिल हैं। राजधानी दून में एमडीडीए की आमवाला तरला और ट्रांसपोर्ट नगर फेज टू परियोजना का काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। अन्य विकास प्राधिकरणों में भी इस तरह की योजनाएं शामिल हैं।

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