मुरादाबाद में कोरोना ने 12 दिन में छीन लिया मां-बाप और बड़े भाई का साया

मुरादाबाद

कोविड काल में संक्रमण की चपेट में आया भरा-पूरा परिवार ही उजड़ गया। बारह दिन में ही तीन मौतों ने पूरे परिवार को हिलाकर रख दिया। परिवार में सबसे छोटे बेटे ललित के सिर से पहले मां, फिर बड़े भाई व अब पिता का साया भी उठ गया। खुद पढ़ाई कर रहे ललित के सिर पर दिव्यांग बड़ी बहन की भी जिम्मेदारी आ गई है। अकेले भाई-बहन को सहारा देने के लिए रिश्तेदार व पड़ोस के लोग ढांढस बंधा रहे है।
कोरोना की दूसरी लहर ने कितने घरों के चिराग बुझा दिए। कितनों पर से बुजुर्गो का साया छिना। मुरादाबाद के बुद्धि विहार में रहने वाले वीर सिंह (52) अमरोहा में सिंचाई विभाग में एकाउंट आफीसर थे। एक महीने पहले तक परिवार हंसता-खेलता और खुशहाल था। मगर कोरोना की परिवार पर ऐसी नजर पड़ी कि मई के चंद दिनों में परिवार में तीन सदस्य बारी-बारी से विदा होते गए। पूरा परिवार कोरोना पीड़ित था। 2 मई को पहले वीर सिंह की पत्नी ज्योति सिंह (49) ने महामारी में दम तोड़ा। वह जिला अस्पताल के एल-टू में भर्ती थी। घटना के पांच दिन बाद ही परिवार का सबसे बड़ा बेटा अनुज प्रताप सिंह (24) का कांठ रोड पर सिद्ध अस्पताल में निधन हो गया। दो मौतों को शायद परिवार के मुखिया भी बर्दाष्श्त नहीं कर सकें। और सात दिन बाद कोरोना पीड़ित वीर सिंह ने भी आंखे मूंद ली। 14 मई को वीर सिंह ने ब्राइट स्टार अस्पताल में आखिरी सांस ली।
कमजोर कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी-
केवल बारह दिनो में परिवार के सभी बड़े लोग चल बसे। बुद्धि विहार के इस मकान में अभी भी तीन मौतों से सन्नाटा नहीं दूर हुआ है। परिवार में सबसे छोटे ललित कुमार आर्यन स्कूल में 12 वीं का छात्र है। मां-बाप व बड़े भाई की मौत के बाद से वह गुमसुम है। पड़ोसी बीएम सिंह ने बच्चे व बड़ी बहन को हिम्मत व दिलासा देते रहे। बैंक से रिटायर हुए बीएम सिंह बताते है कि कोरोना से दोनों भाई बहन भी पीड़ित थे। पर जैसे तैसे वह बीमारी से उबर सकें। पर अब उस पर दुखों का पहाड़ टूटा है। हालांकि सबसे कम उम्र के ललित के सामने अपनी बहन को संभालने व उसके आगे बढ़ाने की है।
-बीएड छात्रा की थी जज बनने की ख्वाहिश
वीर सिंह की सबसे बड़ी बेटी मोनिका सिंह काफी समय से चलने फिरने में असमर्थ है। चलने के लिए उसे सहारे की जरुरत रहती है। लिखते समय हाथ भी कंपकंपाते है। लाचार बेटी ने एक बड़ी मिसाल कायम की है। बीएड की फाइनल की छात्रा मोनिका की इच्छा पीसीएस-जे क्वालीफाई कर जज बनने की है। गुरुवार को हिन्दुस्तान ने परिवार का हाल जाना तो शारीरिक रुप से कमजोर होने के बावजूद मोनिका के मानसिक रुप से स्वस्थ दिखाई दी। इस दौरान कोविड से मौत का ब्योरा जानने तहसील से लेखपाल हिमाचल व स्टाफ भी पहुंचे।

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