हस्तनिर्मित राखियों से वोकल फ़ॉर लोकल और महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश कर रही हैं ये बहनें

हल्द्वानी ।

आज जहाँ लोकल वोकल को लोग बहुत सपोर्ट कर रहे हैं और अपनी प्रतिभा के माध्यम से उसमें रोजगार तलाश रहे हैं तो आज हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी उत्तराखण्ड की दो बहनों की जो साथ मिलकर अपना एक छोटा सा हस्तनिर्मित आर्ट और क्राफ्ट का व्यवसाय चलाती हैं। दोनों बहनों (गरिमा हरडिय़ा अधिकारी और उमा अधिकारी) ने पिछले साल मोली के धागे से राखी बनाकर खूब धूम मचाई थी और इस बार भी ये दोनों बहनें कुछ नया लेकर आई हैं ताकि लोग अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की राखियां खरीद सकें। इन राखियों में मोती से बनी राखी, ऐपण राखी, एविल आई राखी, ब्रेसलेट राखी, एमडीएफ राखी, शैल राखी, नाम लिखी हुई राखी तथा ऊन से बनी कार्टून राखियाँ सम्मिलित हैं। सबसे ज्यादा जो राखी पसंद की जा रही हैं वे हैं मौली राखी तथा एविल आई राखी।
अभी तक ये दोनों बहनें मुंबई, हिमाचल, कर्नाटक, लोहाघाट, उत्तर प्रदेश, हल्द्वानी, जबलपुर, सितारगंज, तथा अन्य शहरों में अपनी राखियाँ भेज चुकी हैं। इनके द्वारा बनायी जा रही राखियाँ इतनी बजट फ्रेंडली हैं कि कोई भी व्यक्ति उन्हें खरीद सकता है। राखियों की कीमत 20 रु से शुरु है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा प्रयास करते हैं कि हमारे द्वारा बनायी गयी हर चीज हस्तनिर्मित हो, जैसे कार्ड्स, राखी टैग, स्टिकर आदि, ताकि जो भी व्यक्ति हमसे खरीददारी करे उसको हस्तनिर्मित की अहमियत समझ आये और साथ ही हमारे द्वारा उसे बनाने में दिए गए समय और प्यार की भी। तभी लोग हस्तनिर्मित और बाजार में मिल रही रेडीमेड चीजों के मध्य अंतर समझ पायेंगे।

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