भारत के पास है बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के लिए कड़े उपाय – सांसद दीया कुमारी
जयपुर।
स्पेन के मैड्रिड में आईपीयू की 143वीं असेंबली के दौरान आयोजित महिला सांसदों के फोरम के 32वें सत्र को संबोधित करते हुए सांसद दीयाकुमारी ने कहा कि जहां सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसरों के नए रास्ते खोलती है, वहीं वे बच्चों के यौन शोषण और दुर्व्यवहार सहित चुनौतियों, खतरों और हिंसा के नए रूपों को भी जन्म देती हैं। भारत में ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार से निपटने के लिए कड़े उपाय हैं।
सांसद दीया ने कहा कि भारत ने वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम बनाया था और समय-समय पर इसमें संशोधन किया है। यह अश्लील सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित करने और प्रसारित करने पर रोक लगाता है और अधिनियम के विभिन्न वर्गों में उल्लंघन के लिए दंडात्मक प्रावधान भी निर्धारित करता है। उन्होंने आईटी इंटरमीडियरीज गाइडलाइंस रूल्स, 2011 के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट पर भी विचार व्यक्त किये।
सांसद दीयाकुमारी ने आगे कहा कि केवल कानूनी प्रावधान और उनका सख्ती से क्रियान्वयन ही काफी नहीं है, ऑनलाइन यौन शोषण से बच्चों को बचाने के लिए विशेष नीतियों की आवश्यकता है।
सांसद ने लड़कियों और लडक़ों की विभिन्न जरूरतों को समझने के महत्व पर भी विस्तार से बताया। इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में युवा लड़कियों की अनूठी स्थिति के प्रति हमारा दृष्टिकोण संवेदनशील होना चाहिए। बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता तथा घर और स्कूलों दोनों जगह पर जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदृश्य दुश्मन से उनकी रक्षा के लिए नए सहयोगी दृष्टिकोण तैयार किए जाने चाहिए।
बैठक से पूर्व भारतीय राजदूत द्वारा आयोजित शिष्टाचार भोज में हुए शामिल-
अंतर-संसदीय संघ आईपीयू की 143वी असेम्बली बैठक के लिए स्पेन पहुंची सांसद दीयाकुमारी के साथ ही भारतीय संसदीय दल के स्वागत में भारतीय राजदूत संजय वर्मा एवं श्रीमती संगीता माता वर्मा के द्वारा असेम्बली बैठक से पूर्व शिष्टाचार रात्रि भोज आयोजित किया गया।
भारतीय दल में सांसद दीयाकुमारी के साथ भर्तुहरी महताब, संजय जायसवाल, श्रीमती पूनम बेन मादाम, विष्णु दयाल राम एवं शश्मित पात्रा भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि अंतर-संसदीय संघ राष्ट्रीय संसदों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका मूल उद्देश्य अपने सदस्य देशों के मध्य लोकतांत्रिक शासन, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देना है। अन्य मामलों में विधायिकाओं के बीच लैंगिक समानता को आगे बढ़ाना, राजनीतिक क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी को सशक्त बनाना और सतत विकास कार्य शामिल हैं।