मौसम के मिजाज से गेहूं और आलू की फसल पर खतरा

रुड़की।  पिछले कुछ दिन से मौसम में एकाएक बढ़ी तपीश ने किसानों की नींद उड़ा दी है। तापमान बढ़ने से गेहूं की पछेती फसल पर पड़ रहा है। वहीं, आलू की फसल के भी खराब होने का खतरा है। हरिद्वार में गन्ने के बाद किसान गेहूं और धान की खेती करते हैं। कृषि विभाग के मुताबिक इस साल जिले में करीब 45 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में गेहूं की फसल बोई गई है। एकाएक बदले मौसम के मिजाज से गेहूं की सेहत बिगड़ रही है। प्रगतिशील कृषक सुधीर कुमार, यशवीर सिंह और ओमकार चौधरी ने बताया कि इस बार गन्ने की पर्चियां मिलने में हुई देरी के कारण गेहूं की पछेती बुआई ज्यादा हुई है। इस समय गेहूं पर बालियां आनी शुरू हुई हैं। बालियों में साफ और मोटा दाना पड़े, इसके लिए तापमान में ठंडक होना जरूरी है लेकिन इस बार फरवरी में तापमान जरूरत से कहीं ज्यादा गर्म हो गया है। बताया कि इसका सीधा असर गेहूं की उपज पर पड़ेगा। किसान रवि कुमार और नवाब सिंह का कहना है कि तापमान में बढ़ोतरी से गेहूं की फसल में यैलो रष्ट (पीला रतुआ) नामक रोग भी लग रहा है। मौसम में बदलाव का असर आलू की खेती पर भी पड़ रहा है। आलू उगाने वाले किसान पंकज, शेर सिंह और विनोद कश्यप ने बताया कि तेज गर्मी से आलू का आकार और वजन कम होगा। साथ ही पौधे को झुलसा रोग भी लग सकता है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. जोध सिंह पुंडीर ने बताया कि गेहूं में पीला रतुआ है तो खेत में ट्राइसाक्लाजोल दवा का स्प्रे करें। आलू के पौधे में डायमेट्री का स्प्रे कर झुलसा रोग को खत्म किया जा सकता है।

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