नौ दिवसीय राम कथा के तीसरे दिन राम जन्म की कथा सम्पन्न

अमेठी।
हमारा जीवन ऐसा हो कि लोग आदर करें, यह बात रविवार को अमेठी जिला मुख्यालय के गौरीगंज में विधायक राकेश सिंह के व्यवस्थापन में उनके निवास मंगलम परिसर में आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के तीसरे दिन श्रोताओं को कथा व्यास पूज्य राजन जी महाराज ने  राम जन्म के प्रसंग में बताई।  गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई “बैरिउ राम बड़ाई करहीं” के प्रसंग की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि एक दिन युद्ध में राम जी ने रावण के सभी शस्त्र काट दिए, रावण मूर्छित होकर गिर गया। भगवान चाहे तो उसे मार सकते थे और रावण भी यही सोच रहा था कि आज वह राम के हाथों मार दिया जाएगा लेकिन भगवान राम ने उसके उठने का इंतजार किया। रावण के उठने पर भगवान राम ने कहा कि युद्ध का निर्णय फिर किया जाएगा, रावण तुम आज काफी थक चुके हों आज जाओ और विश्राम कर लो। रावण अपने महल में पहुचा तो बिना कुछ खाये पिय अपने को एक कमरे में बन्द कर राम जी के इस स्वभाव के बारे में सोचने लगा। चिंतित मंदोदरी के पूछने पर बताया कि राम जी इस स्वभाव के हैं कि उनके शत्रु भी उनके कायल हो जाते हैं।    कथा के दौरान पूज्य राजन जी ने लोगों को जीवन के कुछ सूत्र भी बताए उन्होंने कहा कि शरीर में भगवान की भक्ति अवतरित होने से जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि झुकता वही है जिसमें जान होती है, अकड़ तो मुर्दों की पहचान होती है। “मैंने आंगन नहीं बुहारा कैसे आयेंगे” भजन के माध्यम से बताया कि अंतःकरण को शुद्ध किये बगैर भक्ति व भगवान का दर्शन सम्भव नहीं है। भगवान भरद्वाज आश्रम प्रयाग में याज्ञवल्क्य ऋषि व भरद्वाज मुनि के संवाद की रामकथा को कैलाश पर्वत पर शिव जी से मां  पार्वती  के रामकथा सुनने की लालसा में शिव जी द्वारा मां पार्वती को सुनाई कथा का विस्तृत वर्णन करते हुए राजन जी ने कैलाश पर्वत के बारे में कि एवरेस्ट पर तो कई लोग चढ़ गए लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं पहुंच सका। उन्होंने बताया कि गूगल द्वारा क्लोज सर्किट से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कैलाश में 50-60 फ़ीट ऊंची 6-7 मूर्तियों की छवि दिखती है जिससे स्पष्ट है कि आज भी भगवान शिव सपरिवार कैलाश पर्वत पर वास करते हैं।  भगवान शिव ने माता पार्वती को जय विजय का श्राप, बृंदा का श्राप, विश्वमोहिनी से शादी न कर पाने से कुपित नारद जी का श्राप, नैमिषारण्य में मनु-सतरुपा का तप व देवताओं को राक्षसों से मुक्ति सहित राम जन्म के पांच हेतु बताते हुए  वशिष्ठ जी पुत्र कामेष्टि यज्ञ के प्रसाद खीर को खाने के बारह माह के बाद चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमीं दिन मंगलवार को हुए राम जन्म “भये प्रकट कृपाला दीन दयाला कौशिल्या हितकारी” कथा सुनायी। कथा के दौरान भगवान राम के प्राकट्योत्सव का राजन जी ने सजीव चित्रण करते हुए भजनों बधाई गीत व सोहर के माध्यम पांडाल को भक्ति भाव मय कर दिया। राजन जी के साथ उनके वाद्य एवं गायक कलाकार विनय तिवारी, नरेश, उत्तम, श्रीनिवास, विकास, विनायक अचारी व दाग   निदाग ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

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